भारत के अपराध इतिहास में Raja Kolander का नाम ऐसा है, जिसे सुनकर आज भी लोग सिहर उठते हैं। यह सिर्फ एक सीरियल किलर नहीं था, बल्कि एक नरभक्षी, खोपड़ी कलेक्टर और तांत्रिक विश्वासों में डूबा हुआ मानसिक रूप से विक्षिप्त हत्यारा था। उसकी कहानी अपराध, सनक, और अंधविश्वास की एक खौफनाक मिसाल है।
राजा कोलंदर कौन था?
राजा कोलंदर, असली नाम राम निरंजन कोल, उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले के शंकरगढ़ क्षेत्र का निवासी था। वह आदिवासी कोल समुदाय से आता था और सीओडी छिवकी में एक साधारण कर्मचारी था। बाद में उसने ब्याज पर पैसे देने का काम शुरू किया और स्थानीय राजनीति में भी प्रवेश किया। उसकी पत्नी फूलन देवी जिला पंचायत सदस्य थीं, जिससे उसकी सामाजिक पहचान मजबूत हुई।
राजा कोलंदर की सनक – खुद को ‘राजा’ मानने की बीमारी
राम निरंजन कोल खुद को राजा कोलंदर कहलवाना पसंद करता था। वह मानता था कि वह लोगों को उनके कर्मों की सजा देने के लिए पैदा हुआ है। यही मानसिक विकृति उसकी अपराधी प्रवृत्ति की जड़ बनी। 1998 में उसकी पहली हत्या के बाद उसका नाम पुलिस रिकॉर्ड में आया और तब से शुरू हुई हत्या की एक भयानक श्रृंखला।

Raja Kolander की हत्याओं की डरावनी दास्तां
भारत के सबसे खौफनाक सीरियल किलर Raja Kolander की हत्याएं केवल संख्या में नहीं, बल्कि उनकी क्रूरता और मानसिक विकृति के कारण भी भयावह मानी जाती हैं। उसकी हर हत्या एक सोची-समझी सनक का नतीजा थी।
1. 1998 – Raja Kolander की पहली हत्या
Raja Kolander की अपराध की दुनिया में एंट्री 1998 में हुई, जब उसने एक युवक की हत्या की।
- इस हत्या के बाद वह फरार हो गया और पुलिस को वर्षों तक चकमा देता रहा।
- हालांकि इस केस की जानकारी सीमित है, लेकिन यही उसका पहला क़दम था सीरियल किलिंग की दुनिया में।
2. पत्रकार धीरेंद्र सिंह की निर्मम हत्या
- पीड़ित: धीरेंद्र सिंह, एक स्थानीय पत्रकार
- मकसद: Raja Kolander को संदेह था कि धीरेंद्र उसके गैरकानूनी काम और राजनीतिक छवि को उजागर कर सकता है।
- हत्या का तरीका:
- पहले अपहरण कर उसे अपनी गाड़ी में बैठाया
- फिर बेरहमी से हत्या कर शव के टुकड़े कर दिए
- पीड़ित का मोबाइल, कपड़े और निजी सामान जला दिए
- हत्या के बाद उसकी Tata Sumo को रीपेंट करवाकर चुनाव प्रचार में उपयोग किया
- डायरी में दर्ज नाम: “धीरे धीरे लाल लाल” – कोडनेम
3. मनोज कुमार सिंह और रवि श्रीवास्तव का दोहरा हत्याकांड
- वर्ष: 2000
- पीड़ित: मनोज कुमार सिंह (व्यवसायी) और उनके ड्राइवर रवि श्रीवास्तव
- मकसद: Raja Kolander को शक था कि मनोज उसकी अवैध गतिविधियों में बाधा बन सकते हैं।
- घटना विवरण:
- राजा कोलंदर और उसका साला बच्छराज कोल, दोनों ने एक योजना बनाई
- पहले मनोज को, फिर ड्राइवर रवि को हत्या के बहाने बुलाया
- दोनों की गोलियों से हत्या कर दी गई
- शवों को जला दिया गया और Tata Sumo को लूट लिया
- यही गाड़ी बाद में चुनावी प्रचार में इस्तेमाल की गई
4. खोपड़ी संग्रह: नरभक्षी Raja Kolander की मानसिकता
जब पुलिस ने Raja Kolander के फार्महाउस की तलाशी ली, तो वहां से जो मिला उसने सभी को दहला दिया:
- 14 इंसानी खोपड़ियां, जिन पर मार्कर से नाम लिखे थे
- हर खोपड़ी एक हत्या का प्रतीक थी
- उसने पुलिस को बताया कि वह कायस्थ जाति के लोगों का दिमाग निकालकर सूप बनाकर पीता था
- उसका मानना था कि इससे उसे मानसिक शक्ति और बुद्धि मिलेगी
- मारे गए लोगों के शवों को अलग-अलग स्थानों पर फेंका गया, जबकि खोपड़ियों को वह अपने पास रखता था
5. डायरी में दर्ज हत्या का खौफनाक लेखा-जोखा
Raja Kolander के घर से बरामद डायरी में उसकी दरिंदगी का पूरा लेखा-जोखा था:
उसने माना कि ये हत्याएं केवल बदला या डराने के लिए नहीं, बल्कि तांत्रिक शक्तियां प्राप्त करने के लिए की गई थीं
हर हत्या की तारीख, तरीका, और पीड़ित का कोडनेम दर्ज
कई हत्याओं में तांत्रिक क्रियाओं का उल्लेख भी था

नरभक्षी की मानसिकता
राजा कोलंदर की सबसे डरावनी सच्चाई उसका नरभक्षी (Cannibal) होना था। उसने पुलिस को बताया कि वह इंसानों का दिमाग निकालकर उसका सूप बनाकर पीता था, खासतौर पर कायस्थ समुदाय के लोगों का, क्योंकि उसे लगता था कि इससे उसकी बुद्धि बढ़ेगी।
सबूत – खोपड़ियां, डायरी और गाड़ी
पुलिस जांच में कई चौंकाने वाले सबूत मिले:
सबूत की श्रेणी | विवरण |
---|---|
खोपड़ियां | 14 मानव खोपड़ियां, जिन पर नाम लिखे थे |
डायरी | जिसमें 14 हत्याओं का ब्योरा दर्ज था |
पीड़ितों का सामान | कोट, मोबाइल, अन्य निजी वस्तुएं |
लूटी गई गाड़ी | टाटा सूमो जो चुनाव प्रचार में इस्तेमाल हुई |
Raja Kolander ने इन सब चीजों को बेहद व्यवस्थित तरीके से छुपाकर रखा था, जिससे उसकी मानसिक योजना और आत्मविश्वास झलकता है।
गिरफ्तारी और कोर्ट में सुनवाई
2000 में पत्रकार की हत्या के बाद Raja Kolander को गिरफ्तार किया गया। उसके बाद एक लंबी कानूनी प्रक्रिया चली:
- 2012 में उसे पत्रकार हत्याकांड में उम्रकैद की सजा सुनाई गई।
- 2025 में लखनऊ की अदालत ने उसे और उसके साथी बच्छराज कोल को एक दोहरे हत्याकांड में फिर से उम्रकैद की सजा सुनाई।
- दोनों पर 1 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया।
न्यायाधीश ने अपने निर्णय में कहा कि यह अपराध असाधारण और दुस्साहसी अपराधियों का है, जिन्होंने समाज में भय का माहौल बनाया। अदालत ने साफ कहा कि ऐसे अपराधियों के प्रति किसी भी प्रकार की सहानुभूति न्याय की मंशा के विपरीत होगी।

राजा कोलंदर का व्यवहार और मानसिक स्थिति
कोर्ट में पेशी के दौरान राजा कोलंदर कभी भी डरा हुआ या शर्मिंदा नहीं दिखा। वह मुस्कुराता रहा और कई बार खुद गवाहों से जिरह भी की। उसने जेल में रहकर कानून की पढ़ाई भी शुरू की। उसके बच्चों के नाम भी कानून से जुड़े शब्दों पर रखे गए थे – अदालत, जमानत, और आंदोलन।
Netflix डॉक्यूमेंट्री में Raja Kolander
नेटफ्लिक्स पर जारी की गई डॉक्यूमेंट्री Indian Predator: The Diary of a Serial Killer में Raja Kolander की कहानी को विस्तार से दिखाया गया है। इसमें पुलिस अधिकारियों, पत्रकारों और पीड़ित परिवारों के इंटरव्यू शामिल हैं।
समाज के लिए चेतावनी
राजा कोलंदर की कहानी केवल अपराध की नहीं, बल्कि समाज में व्याप्त अंधविश्वास, राजनीतिक संरक्षण, और कानून व्यवस्था की कमजोरियों की भी कहानी है। उसने दिखाया कि कैसे एक आम इंसान अगर समय पर नियंत्रित न किया जाए, तो वह हत्यारा और नरभक्षी बन सकता है।
निष्कर्ष
Raja Kolander भारत के इतिहास में सबसे सनकी और खतरनाक अपराधियों में से एक है। उसकी कहानी न सिर्फ अपराध की क्रूरता दिखाती है, बल्कि यह भी बताती है कि सामाजिक चेतना और कानून का पालन कितना जरूरी है। आज वह जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा है, लेकिन उसकी दरिंदगी समाज को हमेशा एक सबक देती रहेगी।