प्रयागराज Mahakumbh 2025 में AI कैमरों से होगी सुरक्षा, Yogi Adityanath सरकार की हाईटेक तैयारियां पूरी, जानिए क्या है खास..
Mahakumbh 2025: पहली बार होगा डिजिटलाइजेशन, प्रयागराज में AI तकनीक से होगी 45 करोड़ श्रद्धालुओं की सुरक्षा
प्रयागराज महाकुंभ 2025 : प्रयागः सर्वतीर्थेभ्यः प्रभवत्यधिकं विभो ।। श्रवणात् तस्य तीर्थस्य नामसंकीर्तनादपि । मृत्तिकालम्भनाद्वापि नरः पापात् प्रमुच्यते ।।
Mahakumbh 2025 की तैयारियों को अंतिम रूप देने में जुटी योगी आदित्यनाथ सरकार इस बार पहली बार इतने व्यापक स्तर पर महाआयोजन का डिजिटलाइजेशन कर रही है। मेले में एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) तकनीक से लैस कैमरे लगाए जा रहे हैं, जो 24 घंटे मेला क्षेत्र पर नजर रखेंगे और 45 करोड़ श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे। इसके साथ ही, फेसबुक और एक्स (पूर्व में ट्विटर) जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म श्रद्धालुओं को उनके बिछड़े परिजनों से मिलाने में मदद करेंगे।
डिजिटल खोया-पाया केंद्र बनाएगा मेले को सुरक्षित
इस बार Mahakumbh में खोए हुए परिजनों की खोज के लिए डिजिटल खोया-पाया केंद्र की स्थापना की जा रही है। यह केंद्र 1 दिसंबर से लाइव हो जाएगा। इसके तहत मेला क्षेत्र में 328 एआई लाइसेंस युक्त कैमरे लगाए गए हैं। इन कैमरों का परीक्षण पहले ही पूरा हो चुका है। ये कैमरे पूरे मेला क्षेत्र को कवर करेंगे और श्रद्धालुओं की गतिविधियों पर नजर रखेंगे।
योगी सरकार के निर्देश पर इन विशेष कैमरों की इंस्टॉलेशन का काम अपने अंतिम चरण में है। मेला क्षेत्र की चार मुख्य लोकेशनों पर इन कैमरों का ट्रायल किया गया, जिसमें इन्हें सफल पाया गया। यह तकनीक सुनिश्चित करेगी कि कोई भी श्रद्धालु अपने परिजनों से अलग न हो।
पलक झपकते होगा समाधान
महाकुंभ में खोए हुए लोगों को तुरंत ढूंढने के लिए सरकार ने तकनीक का सहारा लिया है। डिजिटल खोया-पाया केंद्र गुमशुदा व्यक्तियों का तुरंत पंजीकरण करेगा। पंजीकरण के बाद एआई तकनीक सक्रिय हो जाएगी और कैमरे गुमशुदा व्यक्ति की तलाश शुरू कर देंगे।
इतना ही नहीं, गुमशुदा व्यक्ति की जानकारी फेसबुक और एक्स जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भी शेयर की जाएगी। यह कदम न केवल मेले को सुरक्षित बनाएगा, बल्कि परिवारों को उनके प्रियजनों से जल्दी और आसानी से मिलाने में मदद करेगा।
फेस रिकग्निशन तकनीक करेगी पहचान
मेले में फेस रिकग्निशन तकनीक का भी इस्तेमाल किया जाएगा। यह तकनीक गुमशुदा व्यक्तियों की फोटो खींचकर उनकी पहचान सुनिश्चित करेगी। मेले में 45 करोड़ लोगों के आने की संभावना है। ऐसे में यह तकनीक तेजी से काम करेगी और किसी भी व्यक्ति को तुरंत पहचानने में सक्षम होगी।
सुरक्षा के लिए प्रमाण देना होगा जरूरी
महाकुंभ मेले में खोए हुए बच्चों और महिलाओं की सुरक्षा के लिए विशेष प्रोटोकॉल लागू किया गया है। किसी भी वयस्क को किसी बच्चे या महिला को ले जाने से पहले उनकी पहचान का प्रमाण देना अनिवार्य होगा। यह कदम मेले को अधिक सुरक्षित और जिम्मेदार बनाएगा।
सोशल मीडिया भी बनेगा सहायक
मेले में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को भी इस काम में शामिल किया गया है। गुमशुदा व्यक्तियों की जानकारी को व्यापक स्तर पर शेयर किया जाएगा, ताकि अधिक से अधिक लोग उनकी पहचान में मदद कर सकें।
महाकुंभ-2025 के लिए ऐतिहासिक कदम
महाकुंभ 2025 का यह आयोजन तकनीक के सहारे और भी भव्य और सुरक्षित होने जा रहा है। एआई आधारित सुरक्षा और डिजिटल खोया-पाया केंद्रों की मदद से यह आयोजन श्रद्धालुओं के लिए एक नई मिसाल पेश करेगा।
महाकुंभ में पहली बार अपनाई जा रही इस डिजिटल तकनीक से न केवल मेले को सुरक्षित बनाया जा सकेगा, बल्कि लाखों परिवारों को भी राहत और खुशी मिलेगी।