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Pakistan के पहले PM लियाक़त अली ख़ान की पुश्तैनी संपत्ति पर UP में हंगामा क्यों?

On: Sunday, December 8, 2024 5:00 PM
Pakistan
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उत्तर प्रदेश में पाकिस्तान (Pakistan) के पहले प्रधानमंत्री Liaquat Ali Khan की पुश्तैनी संपत्ति को लेकर विवाद

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में एक मस्जिद को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। यह मस्जिद पाकिस्तान (Pakistan) के पहले प्रधानमंत्री Liaquat Ali Khan के भाई सज्जाद अली खान की जमीन पर बनी हुई है। अब इस जमीन को सरकार ने शत्रु संपत्ति घोषित कर दिया है। विवाद तब बढ़ा जब इसे वक्फ संपत्ति होने का दावा किया गया, जिसके बाद स्थानीय प्रशासन और शत्रु संपत्ति संरक्षक कार्यालय की टीम ने जांच शुरू की। यह जमीन मुजफ्फरनगर रेलवे स्टेशन के सामने करीब 0.082 हेक्टेयर में फैली हुई है।

शत्रु संपत्ति कैसे घोषित हुई?

यह जमीन पहले रुस्तम अली के नाम पर दर्ज थी। भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद, जब रुस्तम अली का परिवार पाकिस्तान (Pakistan) चला गया, तो उनकी भारत में मौजूद संपत्तियों को शत्रु संपत्ति घोषित कर दिया गया। बाद में इस जमीन पर कब्जा कर मस्जिद का निर्माण किया गया।

कौन थे Liaquat Ali Khan?

Liaquat Ali Khan पाकिस्तान (Pakistan) के पहले प्रधानमंत्री थे और उन्हें “कायदे-मिल्लत” तथा “शहीद-ए-मिल्लत” के रूप में भी जाना जाता है। उनका जन्म 1 अक्टूबर 1895 को करनाल, उत्तर प्रदेश में हुआ था। उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से पढ़ाई की। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ राजनीति की शुरुआत करने के बाद वे मुस्लिम लीग में शामिल हुए और मोहम्मद अली जिन्ना के साथ मिलकर पाकिस्तान (Pakistan) आंदोलन का नेतृत्व किया।

1947 में पाकिस्तान बनने के बाद Liaquat Ali Khan पहले प्रधानमंत्री बने। 16 अक्टूबर 1951 को रावलपिंडी में एक जनसभा के दौरान उनकी हत्या कर दी गई, और यह हत्या आज भी रहस्य बनी हुई है।

मस्जिद विवाद का कारण

हिंदू शक्ति संगठन के संजय अरोड़ा ने शिकायत दर्ज कराई कि इस जमीन पर मुजफ्फरनगर विकास प्राधिकरण से नक्शा पास कराए बिना मस्जिद और दुकानें बनाई गईं। इन दुकानों को अवैध रूप से किराए पर दिया गया। 18 महीने तक चली जांच के बाद जिलाधिकारी की अध्यक्षता वाली टीम ने गृह मंत्रालय को रिपोर्ट सौंपी। इसमें यह संपत्ति सज्जाद अली खान की बताई गई, जिसे अब शत्रु संपत्ति घोषित किया गया है।

यह विवाद धार्मिक और कानूनी स्तर पर गंभीरता से उठाया जा रहा है। आगे क्या निर्णय होगा, यह देखना बाकी है।

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