भारत ने IMF (अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष) की अप्रैल 2025 की वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक रिपोर्ट के अनुसार जापान को पछाड़ते हुए दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का दर्जा हासिल कर लिया है। इस रिपोर्ट के मुताबिक Indian Economy की नाममात्र GDP अब $4.187 ट्रिलियन (लगभग 340 लाख करोड़ रुपये) हो गई है, जो जापान की $4.186 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था से थोड़ा अधिक है। इस ऐतिहासिक छलांग के साथ Indian Economy अब अमेरिका, चीन और जर्मनी के बाद विश्व में चौथे स्थान पर आ गई है, जबकि जापान फिसलकर पाँचवें स्थान पर पहुँच गया है।
भारत और जापान की GDP तुलना
कुछ साल पहले तक Indian Economy जापान की तुलना में बहुत छोटी थी। मात्र एक दशक पहले भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया में 11वें स्थान पर थी। वर्ष 2022 में India ने तेज़ आर्थिक वृद्धि की बदौलत ब्रिटेन को पीछे छोड़कर पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गई। निरंतर वृद्धि के चलते आज Indian Economy और जापान की अर्थव्यवस्थाएं लगभग बराबर आकार की हो चुकी हैं।
हालांकि कुल GDP के मामले में India ने जापान को पछाड़ दिया है, लेकिन प्रति व्यक्ति आय में जापान अभी भी कई गुना आगे है। जापान की आबादी जहाँ करीब 12.5 करोड़ है, वहीं भारत की जनसंख्या 140 करोड़ से अधिक है। इसी अंतर के कारण जापान की प्रति व्यक्ति GDP (~ $34,000) India से काफी अधिक है (भारत लगभग $2,500 प्रति व्यक्ति)। कुल आर्थिक आकार में बराबरी करने के बावजूद औसत नागरिक की समृद्धि के लिहाज़ से Indian Economy को अभी लंबा सफर तय करना है।

वैश्विक संदर्भ में Indian Economy की वृद्धि दर
India हाल के वर्षों में लगातार तेज विकास दर दर्ज कर रहा है और यह दुनिया की सबसे तेज़ बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था है। IMF के अनुसार 2025 में Indian Economy लगभग 6.2% की दर से बढ़ेगी, जबकि वैश्विक आर्थिक वृद्धि दर लगभग 3.7% रहेगी। तुलना के लिए, इसी अवधि में अमेरिका की वृद्धि दर ~1.8% और यूरो क्षेत्र की मात्र ~0.8% रहने का अनुमान है। चीन जैसी अन्य बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की संभावित वृद्धि दर भी 5% के आस-पास रहेगी, जो Indian Economy से कम है। इस प्रकार Indian Economy मजबूत घरेलू मांग और संरचनात्मक सुधारों की बदौलत विश्व मंच पर सबसे तेज़ गति से आगे बढ़ रही है।
भारत की आर्थिक सफलता के प्रमुख कारण
Indian Economy की तेज़ वृद्धि के पीछे कई प्रमुख कारक हैं:
- जनसंख्या और जनसांख्यिकीय लाभ: भारत की लगभग 140 करोड़ की विशाल जनसंख्या इसे एक विशाल कार्यबल और उपभोक्ता बाजार प्रदान करती है, जिसने आर्थिक वृद्धि को बल दिया है।
- डिजिटल क्रांति और तकनीकी प्रगति: बीते दशक में डिजिटल क्रांति से देश में इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या ~82 करोड़ पहुंच गई है, जिनमें आधे ग्रामीण क्षेत्रों से हैं। डिजिटल भुगतान (जैसे UPI) और ऑनलाइन सेवाओं के प्रसार ने Indian Economy को आधुनिक और अधिक उत्पादक बनाया है।
- विदेशी निवेश और उदारीकरण: उदार नीतियों की बदौलत Indian Economy में 2000 के बाद से $1 ट्रिलियन से अधिक FDI आकर्षित हुआ है। “मेक इन इंडिया” अभियान और GST जैसे सुधारों ने निवेशकों का भरोसा बढ़ाकर औद्योगिक विकास को गति दी है।
- नीतिगत सुधार और अवसंरचना विकास: GST जैसे कर सुधारों, IBC जैसे कानूनों तथा अन्य नीतिगत पहलों ने Indian Economy को अधिक पारदर्शी और मजबूत बनाया है। साथ ही सड़कों, रेलवे, बिजली आदि अवसंरचना में भारी निवेश से भविष्य में Indian Economy की वृद्धि के लिए मजबूत आधार तैयार हुआ है।

जापान को पछाड़ने के मायने
आर्थिक रूप से जापान को पीछे छोड़ना Indian Economy की बढ़ती आर्थिक शक्ति का प्रतीक है। इससे वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत के प्रभाव में वृद्धि होगी। निवेशकों के नज़रिये से यह एक सकारात्मक संकेत है, क्योंकि यह दर्शाता है कि Indian Economy निरंतर विकसित हो रही है और एक बड़ा बाज़ार उपलब्ध कराती है।
राजनीतिक तौर पर चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने से वैश्विक मंच पर India की भूमिका अधिक सशक्त होगी। आर्थिक ताकत बढ़ने के साथ अंतरराष्ट्रीय संगठनों (जैसे G20, IMF, विश्व बैंक) में India की आवाज़ और प्रभाव बढ़ेगा। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता जैसे मामलों में Indian Economy की बढ़ती क्षमता उसके दावे को मजबूती देती है।
सामाजिक दृष्टि से इस उपलब्धि ने देश में आत्मविश्वास और राष्ट्रीय गर्व की भावना बढ़ाई है। यह जनता और सरकार — दोनों के लिए उत्साहजनक है कि वे Indian Economy को विकास की नई ऊँचाइयों पर ले जाने के लिए प्रेरित हों। राष्ट्रीय उपलब्धि का यह क्षण आगामी पीढ़ियों के लिए भी एक सकारात्मक संदेश है।
तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह
IMF का अनुमान है कि Indian Economy 2028 तक जर्मनी को पीछे छोड़कर दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकती है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए India को निम्नलिखित रणनीतियों पर काम करना होगा:
- विनिर्माण और निर्यात को बढ़ावा: “मेक इन इंडिया” जैसी पहलों के ज़रिए विनिर्माण क्षेत्र का GDP में योगदान बढ़ाकर निर्यात में वृद्धि करना।
- कौशल विकास और शिक्षा: युवाओं को आधुनिक कौशल व गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करके श्रम उत्पादकता बढ़ाना।
- निरंतर आर्थिक सुधार: कारोबार में सुगमता, कर प्रणाली का सरलीकरण और निजी निवेश को प्रोत्साहन देकर दीर्घकालिक वृद्धि सुनिश्चित करना।
- नवाचार और तकनीकी नेतृत्व: डिजिटल तकनीक व स्वच्छ ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में अनुसंधान और स्टार्टअप को बढ़ावा देकर भविष्य की Indian Economy में अग्रणी बनना।

Indian Economy की प्रमुख चुनौतियाँ
उल्लेखनीय प्रगति के बावजूद Indian Economy को अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है:
- रोज़गार सृजन: हर साल लाखों नए युवा कार्यबल में शामिल होते हैं, जिनके लिए पर्याप्त नौकरियाँ सृजित करना एक बड़ी चुनौती है।
- आय एवं संपत्ति असमानता: तेजी से बढ़ती Indian Economy के बावजूद समाज में आर्थिक असमानता बहुत अधिक है। Oxfam की एक रिपोर्ट के मुताबिक देश की 40% से अधिक संपत्ति सबसे अमीर 1% लोगों के पास है, जबकि नीचे के 50% आबादी के पास कुल संपदा का मात्र 3% हिस्सा है। इतनी विषमता के बीच समावेशी विकास सुनिश्चित करना एक गंभीर चुनौती है।
- ग्रामीण विकास एवं कृषि: लगभग आधी कार्यशील आबादी कृषि एवं ग्रामीण Indian Economy पर निर्भर है, लेकिन GDP में कृषि का योगदान केवल ~15% है। कम कृषि उत्पादकता और ग्रामीण-शहरी विकास का अंतर संतुलित वृद्धि में बाधक है। ग्रामीण आय बढ़ाना और बुनियादी सुविधाओं का प्रसार नीति निर्माताओं की प्राथमिकता है।
सरकार की योजनाएँ और 2047 का विज़न
India सरकार ने 2047 तक देश को एक विकसित राष्ट्र बनाने का विज़न रखा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस 2024 के संबोधन में कहा कि यदि 140 करोड़ भारतीय मिलकर प्रयास करें तो 2047 तक ‘विकसित भारत’ का सपना साकार हो सकता है। इस लक्ष्य को पाने के लिए मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, गति शक्ति, स्किल इंडिया आदि योजनाओं के जरिए विनिर्माण, डिजिटल प्रगति, अवसंरचना और मानव संसाधन विकास पर जोर दिया जा रहा है। इन पहलों से Indian Economy को सुदृढ़ आधार मिल रहा है, जिससे 2047 तक एक समृद्ध और विकसित Indian Economy का लक्ष्य हासिल किया जा सके।
यह अभूतपूर्व उपलब्धि भारत के लिए जहाँ गर्व का विषय है, वहीं आगामी लक्ष्यों (दुनिया की तीसरी अर्थव्यवस्था और 2047 तक विकसित राष्ट्र) को पाने के लिए निरंतर प्रयास और समावेशी विकास पर जोर बनाए रखना उतना ही आवश्यक है।