Bihar Election 2025: बिहार की राजनीति एक बार फिर निर्णायक मोड़ पर आ खड़ी हुई है। आगामी बिहार विधानसभा चुनाव 2025 (Bihar Election 2025) न केवल राज्य बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी खास महत्व रखते हैं। यह चुनाव उस पृष्ठभूमि में हो रहे हैं जब नीतीश कुमार का बार-बार गठबंधन बदलना, तेजस्वी यादव की राजनीतिक परिपक्वता, और प्रशांत किशोर की जन सुराज यात्रा मिलकर बिहार की परंपरागत सियासत को चुनौती दे रहे हैं।
जहां 2020 के चुनावों में जनता ने बीजेपी-जेडीयू गठबंधन को फिर सत्ता में बैठाया था, वहीं इस बार तस्वीर काफी अलग है। चुनावी मुद्दों से लेकर नेताओं की साख और गठबंधनों की विश्वसनीयता तक, सब कुछ जनता की अदालत में है।
चुनाव (Bihar Election 2025) कब होंगे?
बिहार विधानसभा का कार्यकाल 29 नवंबर 2025 को समाप्त हो रहा है। इसलिए संभावना है कि चुनाव सितंबर से नवंबर 2025 के बीच तीन या चार चरणों में होंगे।
चुनाव आयोग की अधिसूचना जुलाई-अगस्त तक जारी हो सकती है।
2020 के विधानसभा चुनाव का पुनरावलोकन
2020 के चुनावों में कुल 243 सीटों में से:
NDA (BJP+JDU) को 125 सीटें मिलीं
महागठबंधन (RJD+Cong) को 110 सीटें
LJP अकेले चुनाव लड़ी और NDA को नुकसान पहुंचाया
नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाया गया लेकिन JDU को सिर्फ 43 सीटें ही मिली थीं, जो उनके लिए एक झटका था। वहीं BJP 74 सीटों के साथ NDA की बड़ी ताकत बनकर उभरी।
Bihar Election 2025 के बड़े चुनावी मुद्दे
1. युवाओं का पलायन और बेरोजगारी
बिहार में हर साल लाखों युवा बाहर जाते हैं काम की तलाश में। नौकरी के वादों के बावजूद कोई स्थायी समाधान नहीं हुआ है।
2. शिक्षा व्यवस्था और शिक्षक नियोजन
TET/CTET पास युवाओं की बहाली लंबे समय से रुकी है। स्कूलों की स्थिति खराब है और उच्च शिक्षा में सुधार की मांग बढ़ रही है।
3. कानून-व्यवस्था
अपराध, विशेषकर महिला अपराध और भ्रष्टाचार, जन आक्रोश के विषय हैं। हाल के दिनों में कई जिलों में कानून-व्यवस्था पर सवाल उठे हैं।
4. बाढ़, आपदा और बुनियादी ढांचा
उत्तर बिहार में हर साल बाढ़ आती है, लेकिन सरकार की तैयारी और राहत व्यवस्था पर सवाल उठते हैं।
5. जातीय जनगणना और सामाजिक न्याय
RJD और वाम दल इसे बड़ा मुद्दा बना रहे हैं, जबकि BJP इससे दूरी बना रही है।
अतिरिक्त प्रमुख मुद्दे जो Bihar Election 2025 के चुनाव में असर डाल सकते हैं
1. स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली
सरकारी अस्पतालों की हालत चिंताजनक है।
डॉक्टरों की भारी कमी, उपकरणों का अभाव और भ्रष्टाचार की शिकायतें आम हैं।
कोविड-19 के दौरान सामने आई स्वास्थ्य व्यवस्था की कमजोरियों को अब तक नहीं सुधारा गया है।
2. शुद्ध पेयजल और जल-जमाव की समस्या
ग्रामीण और शहरी दोनों इलाकों में शुद्ध पेयजल उपलब्धता एक बड़ा सवाल है।
गंगा किनारे के क्षेत्रों में जल-जमाव, सड़कों पर कीचड़ और गंदगी एक गंभीर समस्या बन गई है।
3. रेल और परिवहन सेवाएं
बिहार से हर साल लाखों लोग बाहर नौकरी के लिए जाते हैं लेकिन रेल सेवाएं अपर्याप्त हैं।
राज्य के भीतर बस सेवा, रोड कनेक्टिविटी और पब्लिक ट्रांसपोर्ट में सुधार की मांग तेज है।
4. महिला सुरक्षा और सशक्तिकरण
महिलाओं के खिलाफ अपराध की दर ऊंची है।
राज्य सरकार ने ‘हर घर नल, हर घर जल’, साइकिल योजना जैसी पहल की थी, लेकिन महिला सुरक्षा पर ठोस परिणाम नहीं दिखे।
शादी की उम्र, शिक्षा में रोक, और दहेज प्रथा पर कार्रवाई एक जरूरी मुद्दा बनकर उभरेगा।
5. ठेका, संविदा और शिक्षक बहाली
कॉन्ट्रैक्ट और गेस्ट शिक्षक, स्वास्थ्यकर्मी, पुलिस भर्ती जैसी भर्तियों में देरी या बंदी से नाराज़गी फैली है।
सातवां वेतन आयोग लागू होने के बावजूद कुछ कर्मचारियों को लाभ नहीं मिला।
6. नीतीश कुमार की राजनीतिक विश्वसनीयता
बार-बार गठबंधन बदलने से जनता के मन में अविश्वास है।
2020 में उन्होंने BJP के साथ सरकार बनाई, 2022 में RJD के साथ, और अब फिर BJP के साथ – ये “पलटीबाज़ी” इस बार जनता के फैसले पर असर डाल सकती है।
7. उद्योग और निवेश की कमी
बिहार में कोई बड़ा उद्योगिक हब नहीं है।
प्राइवेट सेक्टर का निवेश न के बराबर है, जिससे रोजगार के अवसर भी सीमित हैं।
8. किसानों की स्थिति और MSP का सवाल
किसान अभी भी बिचौलियों पर निर्भर हैं।
धान और गेहूं की खरीद MSP पर नहीं होती।
खाद, बीज और सिंचाई की लागत अधिक है लेकिन मुनाफा कम।
9. डिजिटल इंडिया और इंटरनेट कनेक्टिविटी
इंटरनेट गांवों में आज भी कमजोर है।
छात्रों की ऑनलाइन पढ़ाई कोविड के समय पूरी तरह बाधित रही थी।
अब डिजिटल व्यवस्था एक बुनियादी जरूरत बन चुकी है।
10. भ्रष्टाचार और लोक शिकायत निवारण
पंचायत से लेकर जिलों तक सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार की खबरें आम हैं।
जनता दरबार जैसी योजनाएं ज्यादा प्रचारित रहीं, लेकिन स्थायी समाधान की कमी है।
11. अग्निपथ योजना और युवाओं का रोष
केंद्र की अग्निपथ योजना को लेकर बिहार में विरोध हुआ था।
युवाओं को लगा कि सेना में स्थायी नौकरी का सपना छीना गया है।
यह गुस्सा अब भी दबा हुआ है और चुनाव में उभर सकता है।
12. बिहार बोर्ड बनाम CBSE – शिक्षा की गुणवत्ता
राज्य बोर्ड और CBSE के बीच का अंतर आज भी साफ नजर आता है।
निजी स्कूलों का पलड़ा भारी है और सरकारी स्कूलों की हालत जर्जर है।
13. जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण
बाढ़, सूखा, और पर्यावरणीय क्षरण जैसे मुद्दों पर कोई बड़ी नीति सामने नहीं आई है।
बिहार जैसे कृषि-प्रधान राज्य में यह बड़ा भविष्य का खतरा बन सकता है।
Bihar Election 2025 में युवा सबसे बड़ा फैक्टर बन सकते हैं?
1. जनसंख्या में बड़ी हिस्सेदारी
बिहार की जनसंख्या में युवाओं (18–35 वर्ष आयु वर्ग) की संख्या लगभग 60% से अधिक है।
इसका मतलब है कि अगर युवा संगठित होकर मतदान करते हैं, तो वे किसी भी पार्टी की किस्मत बदल सकते हैं।
2. पहली बार वोट करने वाले मतदाता
2025 में करीब 20–25 लाख नए युवा मतदाता पहली बार वोट डालेंगे।
इनमें से अधिकांश सोशल मीडिया से जुड़े हैं और पारंपरिक राजनीति से कुछ अलग सोचते हैं।
3. रोज़गार और शिक्षा बड़े मुद्दे हैं
Bihar Election 2025 में युवाओं की सबसे बड़ी मांग है:
रोजगार के अवसर
बेहतर शिक्षा प्रणाली
पारदर्शी भर्ती प्रक्रियाएं
जो पार्टी इन मुद्दों पर ठोस प्लान और भरोसेमंद नेतृत्व देगी, युवाओं का वोट उसे मिलेगा।
4. डिजिटल जनरेशन और सोशल मीडिया
आज का युवा Facebook, Instagram, और YouTube जैसे प्लेटफॉर्म्स से राजनीतिक विमर्श में हिस्सा ले रहा है।
राजनीतिक दलों की डिजिटल रणनीति अब पहले से कहीं ज्यादा अहम हो गई है।
5. परिवर्तन की चाह
युवाओं में परंपरागत जातिगत राजनीति से हटकर विकास, नेतृत्व और पारदर्शिता को लेकर एक नया रुझान दिख रहा है।
यह बदलाव प्रशांत किशोर जैसी नई पार्टियों को Bihar Election 2025 में भी मौका दे सकता है।
Bihar Election 2025 को लेकर जनता का मूड क्या कहता है?
1. स्थायित्व बनाम बदलाव
कई लोग नीतीश कुमार की बार-बार गठबंधन बदलने की राजनीति से नाराज़ हैं।
वहीं कुछ लोग उन्हें अब भी “अनुभवी और संतुलित” नेता मानते हैं।
ऐसे में जनता का एक बड़ा वर्ग इस बार “बदलाव” की तलाश में दिख रहा है।
2. युवा मतदाताओं का झुकाव
युवाओं में बेरोज़गारी और शिक्षा व्यवस्था को लेकर बहुत असंतोष है।
तेजस्वी यादव और प्रशांत किशोर युवाओं के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं।
कई युवा मतदाता अब पारंपरिक दलों की जगह “नए विकल्प” की तरफ झुकते दिखाई दे रहे हैं।
3. मीडिया और सोशल मीडिया का प्रभाव
WhatsApp, YouTube और Facebook जैसे प्लेटफॉर्म्स पर राजनीतिक चर्चा बहुत तेज है।
“भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, और महंगाई” जैसे मुद्दों पर आम लोग मुखर होकर राय रख रहे हैं।
4. गाँव बनाम शहर का दृष्टिकोण
ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी जाति और परंपरागत राजनीति का प्रभाव बना हुआ है।
शहरी क्षेत्रों में लोग सरकारी प्रदर्शन, विकास और पारदर्शिता को प्राथमिकता दे रहे हैं।
5. महागठबंधन और NDA दोनों से उम्मीदें और नाराज़गी
महागठबंधन (RJD+Congress) के समर्थकों को तेजस्वी में नई ऊर्जा दिखती है, लेकिन कांग्रेस की निष्क्रियता से नाराज़गी भी है।
NDA समर्थकों को केंद्र सरकार की योजनाओं पर भरोसा है, लेकिन राज्य स्तर पर JDU को लेकर मिश्रित भाव हैं।
कौन हैं Bihar Election 2025 में प्रमुख पार्टियां और उनके चेहरे?
BJP
मुख्य नेता: गिरिराज सिंह, नित्यानंद राय, संजय जायसवाल
फोकस: मोदी ब्रांड, राष्ट्रवाद, विकास और केंद्रीय योजनाएं
JDU
मुख्य चेहरा: नीतीश कुमार
फोकस: सुशासन, सामाजिक संतुलन, अनुभवी नेतृत्व

RJD
मुख्य चेहरा: तेजस्वी यादव
फोकस: युवाओं का नेतृत्व, पिछड़ों का प्रतिनिधित्व, 10 लाख नौकरी का वादा
कांग्रेस
स्थिति कमजोर लेकिन गठबंधन में जरूरी
नेता: अखिलेश प्रसाद सिंह, शक्ति सिंह गोहिल
जन सुराज (प्रशांत किशोर)
PK की पार्टी पहली बार चुनाव लड़ेगी
फोकस: जनता से संवाद, पारदर्शिता, जमीनी राजनीति
वाम दल (CPI, CPM, CPI-ML)
राज्य में सीमित लेकिन गठबंधन के अहम साथी
मुख्य मुद्दे: किसान, मजदूर, शिक्षा, जनगणना
चिराग पासवान की LJP (RV)
बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट नारा दोबारा लाने की तैयारी
नई पीढ़ी को टारगेट करने की रणनीति
Bihar Election 2025: बदलते राजनीतिक समीकरण
बिहार की राजनीति में “गठबंधन की पलटी” कोई नई बात नहीं रही, लेकिन नीतीश कुमार ने बीते दो साल में इसे चरम पर पहुंचा दिया। 2020 में बीजेपी के साथ, फिर 2022 में RJD के साथ, और अब 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले फिर BJP के साथ NDA में लौट आए।
इससे JDU की साख पर असर पड़ा है और जनता के भरोसे में दरार आई है।
क्या प्रशांत किशोर Bihar Election 2025 में चुनावी क्रांति ला सकते हैं?
प्रशांत किशोर ने बिहार के गांव-गांव में जन सुराज पदयात्रा के जरिए जनता से सीधा संवाद किया है। वे किसी जाति, धर्म, या पार्टी से नहीं बल्कि “सुशासन और नीति आधारित” राजनीति की बात कर रहे हैं।
उनके पक्ष में:
रणनीतिक कौशल
नई सोच
युवाओं से जुड़ाव
उनके खिलाफ:
संगठन का अभाव
जमीनी नेता की कमी
सीमित संसाधन
PK का मकसद है कि “जनता खुद अपना उम्मीदवार चुने, न कि ऊपर से थोपा जाए।”
महागठबंधन की चुनौतियां
RJD, कांग्रेस और वाम दलों के गठबंधन को 2020 में अच्छे वोट मिले थे, लेकिन सीट शेयरिंग और नेतृत्व को लेकर मतभेद बने हुए हैं। अगर ये दल एकजुट होकर और रणनीति से चुनाव लड़ें, तो NDA को कड़ी टक्कर मिल सकती है।
विधानसभा की सीटों का गणित
जोन | सीटें | प्रमुख प्रभाव |
---|---|---|
मगध | 38 | JDU-BJP vs RJD |
कोशी-सीमांचल | 52 | मुस्लिम-यादव समीकरण |
भोजपुर | 25 | NDA का गढ़ |
मिथिलांचल | 37 | मिश्रित प्रभाव |
तिरहुत | 33 | PK का फोकस |
शाहाबाद | 21 | RJD की पकड़ |
चंपारण | 37 | BJP का प्रभाव क्षेत्र |
जनता की सोच
बेरोजगारी, शिक्षा और स्वास्थ्य इस बार Bihar Election 2025 में असली मुद्दे हैं
जाति समीकरण अब भी असर डालते हैं
युवा वोटर बदलाव की दिशा में देख रहा है
सोशल मीडिया का प्रभाव बढ़ा है
निष्कर्ष
Bihar Election 2025 न केवल एक सरकार चुनने की प्रक्रिया है, बल्कि यह तय करेगा कि राज्य विकास के रास्ते पर कितनी दूर और कितनी तेज़ी से चल सकता है। जनता इस बार केवल जाति या नेता के नाम पर नहीं, बल्कि नीतियों, मुद्दों और भरोसेमंद नेतृत्व पर मतदान कर सकती है।
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